उपायुक्त
उपायुक्त का संदेश
केन्द्रीय विद्यालय उत्कृष्टता, सृजनात्मकता और सीखने के अद्वितीय केंद्र हैं, जो आज के छात्रों को कल के जिम्मेदार नागरिकों के रूप में ढालते हैं। ये विद्यालय केवल संज्ञानात्मक विकास के लिए ही नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण के लिए भी एक अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं, जिससे समग्र व्यक्तित्व का विकास होता है जो 21वीं सदी के महत्वपूर्ण कौशलों से लैस होता है।
विद्यालय के सबसे महत्वपूर्ण संसाधन शिक्षक हैं, जो लगातार बदलते शैक्षिक परिदृश्य की मांगों के अनुसार खुद को ढाल रहे हैं, जहां पारंपरिक तरीकों की जगह आधुनिक तकनीकों ने ले ली है। चाहे वह शिक्षण पद्धति हो या तकनीक, शिक्षक नवीनतम परिवर्तनों से परिचित रहते हैं ताकि वे अपने छात्रों को सर्वश्रेष्ठ प्रदान कर सकें। छात्रों का विकास और प्रसार शिक्षकों की स्नेहपूर्ण देखभाल और मार्गदर्शन में होता है, जो उन्हें जीवन की वास्तविक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं। छात्र नए क्षेत्रों और अवधारणाओं को सीखते हैं और अपने विचारों से समाज में बदलाव लाने का प्रयास करते हैं।
केन्द्रीय विद्यालयों का लक्ष्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दृष्टिकोण के अनुसार एक समान और जीवंत ज्ञान समाज का निर्माण करना है। हमारा उद्देश्य ऐसे मनुष्यों का विकास करना है जो तर्कसंगत सोच और कार्य करने की क्षमता रखते हों, जिनमें करुणा और सहानुभूति हो, साहस और धैर्य हो, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और रचनात्मक कल्पना के साथ नैतिक मूल्यों का पालन करते हों।
केन्द्रीय विद्यालयों की बहुसांस्कृतिक और भाषाई विविधता, जहां विभिन्न पृष्ठभूमियों से आने वाले बच्चे एक साथ पढ़ते हैं, उनके विचारों का विस्तार करती है और उन्हें पाठ्यपुस्तक शिक्षा से आगे का अनुभव प्रदान करती है। इस प्रकार बच्चे विभिन्न त्योहारों को मनाते हैं और विभिन्न संस्कृतियों की कला और संगीत का आनंद लेते हैं। इससे वे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता के प्रति संवेदनशील बनते हैं।
इस आत्म-विकास और संवर्धन की यात्रा में अभिभावकों, शिक्षकों और विद्यालय के अन्य मार्गदर्शकों की भूमिका समान रूप से महत्वपूर्ण है। आइए हम सभी एक साथ साहस और दृढ़ संकल्प के साथ भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं। स्वामी विवेकानंद के शब्दों में, “उठो, जागो और लक्ष्य की प्राप्ति तक रुको नहीं।”